भोपाल. भोपाल रेलवे स्टेशन के जिस फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) के रैंप का स्लैब गिरा था, उसका घटिया निर्माण रेलवे ने ही पूरा किया था। यह कार्य सन 1992 में रेलवे ने किसी कांट्रेक्टर से नहीं बल्कि अपने ही इंजीनियरिंग विभाग से करवाया था। इस दौरान रैंप के आधे-अधूरे हिस्से में वेेल्डिंग की गई थी। नतीजा- पिछले गुरुवार को हुए हादसे में 10 लोग घायल हो गए।
इस घटना के लिए एफओबी का मेंटेनेंस तरीके से न करने व सुपरविजन पर ध्यान नहीं देने के कारण सीनियर सेक्शन इंजीनियर (ब्रिज) बीके मिश्रा को चार्जशीट मिलेगी और प्रकरण भी चलेगा। साथ ही एईएन विनय पांडे को सुपरविजन कार्य में फेल मानते हुए उन्हें भी चार्ज शीट दी जा रही है। रेलवे के उच्च अधिकारियों की समिति ने अब तक की गई जांच में यह निष्कर्ष निकाले हैं। समिति में पश्चिम-मध्य रेल जोन के प्रिंसिपल सीएसओ एपी पांडेय, चीफ ब्रिज इंजीनियर ओपी तंवर और चीफ कमर्शियल मैनेजर पैसेंजर सर्विसेज ब्रिजेंद्र कुमार शामिल हैं।
1992 में एफओबी का काम विभाग से कराया गया था
समिति ने 1991 से लेकर अब तक किए गए मेंटेनेंस कार्यों की जांच की तो ये बातें उजागर हुई। तब इस एफओबी का निर्माण कर रही इंदौर की शुभम इंटर प्राइजेज ब्रिज का आधा-अधूरा काम छोड़कर भाग गई थी। इसके बाद रेलवे ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। 1992 में एफओबी का काम विभाग से ही करवाया गया था।
ठीक से टेस्टिंग नहीं की..फिर भी ओके
जांच में लापरवाही जनवरी 2019 में एफओबी की टेस्टिंग एसएसई ब्रिज मिश्रा ने की थी। इसकेे बाद यहां ओके रिपोर्ट भी लगाई। उनके द्वारा जांच में बरती गई लापरवाही के कारण ही उन्हें सस्पेंड भी कर दिया गया था।
विरोधाभास भी दिखा था: जिस दिन घटना हुई थी, उस दौरान रेल मंडल के प्रवक्ता आईए सिद्दीकी ने इंजीनियरिंग विभाग के अफसरों के हवाले से कहा था कि कि एफओबी का ऑडिट मार्च 2019 में किया गया था। जबकि एफओबी पर जो बोर्ड लगा है उस पर ऑडिट की तारीख जनवरी 2019 लिखी हुई है।